Saturday, November 13, 2010

आधुनिक शिक्षा भी लें मुसलमान

देश के 22 करोड़ से ज्यादा मुसलमानों की हालत क्या है,ये किसी से भी छिपा नहीं है। ज्यादातर मुसलमान बुनियादी सुविधाओं से महरुम हैं। आज भी वे अलग-अलग फ़िरकों में बंटे हुए हैं, मुझे इसका एक ही कारण नज़र आता है और वो है शिक्षा, आज भी तालीम के मामले में मुसलमान काफी पीछे हैं, जिससे वे दूसरी क़ौम से पिछड़ गए। देखा जाए ते आजादी से पहले मुसलमानों की हालत काफी अच्छी थी लेकिन मुल्क के बंटवारे और आजादी के बाद मुसलमान हाशिए पर चले गए या फिर उन्हे उनके हाल पर छोड़ दिया गया। देश की आजादी के इतने सालों बाद भी वे मुख्यधारा से अलग-थलग पड़े हैं। इसमें गलती किसकी है सरकार, मदरसा शिक्षा,उनके रहनुमा या फ़िर खुद मुसलमानों की। सवाल ये उठता है कि उन्हे संविधान ने बराबरी का हक दिया है तो फिर वे क्यों नहीं मुख्यधारा से जुड़ पाते।
     मुसलमानों से अगर किसी ने बेरुख़ी दिखाई है तो खुद मुसलमानों ने,उनके आला लीडर या उनके नाम पर राजनीति करने वाले लोगों ने उनके शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार को लेकर कभी भी रुचि नहीं दिखाई,क्योंकि वे नहीं चाहते कि मुसलमान पड़ लिख जाऐं और उनकी राजनीति चौपट हो जाए। मुल्ला-मौलवियों ने अरबी तालीम पर तो जोर दिया लेकिन आधुनिक शिक्षा से दुर रखा। कुछ पढे़-लिखे तालीम याफ्ता लोगों के आवाज़ उठाने पर सरकार ने मदरसों में अंग्रेजी तालीम तो लागू करवा दी लेकिन सही ढंग से प्रसारित नहीं करवा पाई।
       आजादी के बाद कितनी ही सरकारें आयीं और चली गईं लेकिन किसी ने कभी भी मुसलमानों की तरक्की के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए। बस सिर्फ मुसलमानों को वोट बैंक समझकर उनका इस्तेमाल करते रहे। कांग्रेस सरकार ने एक तरफ शाहबानों केस में कानुन लागू कर मुस्लिमों को खुश करने की कोशिश तो वहीं दूसरी और बाबरी मस्जिद का ताला भी खुलवा दिया। जिसका दंश रह-रह कर मुसलमानों को डसता रहता है। सबसे ज्यादा समय तक सरकार बनाने वाली कांग्रेस ने मुसलमानों को हमेशा अंधेरे में रखा उसने न तो लिब्राहन आयोग की सिफारिश को लागू किया न ही सच्चर कमेटी की सिफारिशों को, वही हाल मुसलमानों के नाम पर राजनीति करने वालों का है। आज भी देश में उच्च पदों पर मुसलमान बैठे हैं लेकिन वे कभी भी मुसलमानों की तरक्की के लिए आवाज़ बुलंद नहीं करते।
        शाह फैसल सबसे बडी़ सर्विस आई.ए.एस. को टाप कर जाते हैं और कोई भी मुस्लिम लीडर या रहनुमा न तो उन्हे सम्मानित करता है न ही उनके बारे में कोई बात करता है। इससे साफ पता चलता है कि ये लोग मुसलमानों की तरक्की की राह में कितना बड़ा रोडा़ हैं। ये लोग नहीं चाहते कि मुसलमान पढ़ लिख जाएं और तरक्की याफ्ता कौम बन जाऐं। 
       अब भी वक्त है जब मुसलमानों को अपने आने वाले भविष्य को सुधारना होगा उन्हे अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी तालीम देनी होगी। भावनाओं में बहकर ही उनका अब तक ये हाल है। उन्हे ख़ुद अपना मुस्तकबिल बनाना होगा। इसके लिए उन्हे अरबी तालीम के साथ-साथ आधुनिक तालीम भी लेनी होगी तभी उनका भविष्य रोशन हो सकेगा । और वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगें। 
             
  

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