Sunday, November 21, 2010

यमुना तेरा पानी अमृत

पिछले दिनों उत्तरकाशी जाना हुआ,यहां एक बेहद खुबसूरत छोटा सा कस्बा है बड़कोट। यहीं मेरा बचपन बीता यहां से 53 किलोमीटर की दूरी पर यमुना का उदगम स्थल हैनाम है यमुनोत्री,पहली नज़र में अगर आप यमुना पर नजर डालें तो पाएंगें कि इसका पानी इतना साफ और स्वच्छ है मानो पानी कह रहा हो कि मुझे देखो तो देखते ही रह जाओगे। यमुना नदी का नीर पानी टेढे़-मेढ़े रास्तों ते होकर गुजरता है। पहाडों तक तो पानी साफ है लेकिन मैदानों में आते ही इसका रंग बदलने लगता है। इसका ये रंग खुदबखुद नहीं बदलता बल्कि बदल दिया जाता है।
      जब भी में दिल्ली में यमुना ब्रिज के उपर से गुजरता हूं तो सिहर जाता हूं,क्या यही वो यमुना है जो मेरे घर के पास बहती है...क्या यही वो यमुना है जो पहाड़ो से साफ जल लेकर मैदानों की प्यास बुझाने की हर मुमकिन कोशिश करती है लाखों लोगों को जीवन देती है। अपने हित की खातिर उसका क्या हाल कर दिया है लोगों ने ..क्या इस जीवनदायिनी नदी पर किसी को तरस नहीं आता। बात-बात पर हो-हल्ला मचाने वाले राजनेता, समाजसेवी,मीडिया,साधु-संत चुप्पी साधे बैठे हैं। तरस आता है ऐसे लोगों की मानसिकता पर।
      दिल्ली में यमुना का हाल कितना बुरा है ये किसी से भी छिपा नहीं है। पूरे देश की गतिविधियों का केंद्र रहने वाली दिल्ली में पावन नदी की तरफ किसी की भी नजरें नहीं टिकती आश्चर्य की बात है। कल्पना करें कि एक दिन नदियां सूख गईं तो.....यकीनन पानी अनमोल है। थोड़ा सा प्रयास तो करें हम जैसों का साथ दें...यमुना को साफ करके ही हम अपना जीवन बचा सकते हैं...कोई शक नहीं कि एक दिन पानी को लेकर पूरी दुनिया में विश्व युद्ध छिड़ेगा। तब देखना हम अपने किए पर कितने पछताएंगे। आने वाली पिढ़ियां हमारी इन कमजोरियों के लिए हमें कभी माफ नहीं करेंगी।    

No comments: