Tuesday, November 23, 2010

जानम समझा करो

                            


सामने से चचा बतूलै को आता देख मैने पतली गली पकड़ना ही मुनासिब समझा..लेकिन चचा की पारखी नजर और निरमा सुपर से भला कोई बच सकता है...मुझे देखते ही फेंकने लगे अरे ओ रिपोर्टर की नयी कलम जरा हिंया आओ.....अरे चचा कैसे हैं....क्या चल रहा है.....आजकल....अबे चलना क्या है.....अपने नितिश ने तो कमाल कर दिया...लालू एंड कंपनी को चारों खाने चित्त कर दिया कसम उड़ान झल्ले की.....हां चचा वो तो है...लेकिन हाथ वाली कांग्रेस....अबे क्या कै रिया है...उसे तो सालों लगेंगें बिहार की गद्दी पर बैठने में.....अब चचा ने फैंकना शुरु कर दिया....अरे मैने तो पैले ही राहुल को बतला दिया था कि भईया हिंया तेरी दाल गलने वाली नई....हैं.....तो फिर चचा क्या कैया उसने....अरे कैना क्या था.... लगा मुझसे राय मांगने....चचा अब तुम ही बेड़ा पार लगा सकते हो....सच.....हैं......पर मैने तो साफ कह दिया कि मैं तो उसके साथ हूं जो विकास की बात करेगा....चचा लाईन पर आ रहे थे कि मैने उन्हे छेड़ डाला....पर चचा तुम तो लालू के तरफदार थे....चचा ने धमाका छाप तंबाकू मुंह में डालते हुए कहा...अबे खरबूजे के बीज....लालू से बड़ा जोकर मैने इस दुनिया में नई देखा.....और तुमसे बड़ा मैने नहीं...मैं मन में बुदबुदाया....अरे जब वो भैंसों का चारा खा सकता है तो जनता के पैसों को भी तो पचा सकता है....चचा अब लाइन पर थे....तो चचा क्या विकास ही...हां भई....विकास से ही अब चुनाव जीता जा सकेगा....आंडू-पांडू नेता तो अब सड़क पे भजिया तलेंगें कसम लालकिले की.....तो चचा अब तुम भी अपना बोरिया बिस्तर बांध लो क्योंकि इस मुहल्ले में तुम्हारी बक-बक सुन कर कोई नया चचा न ले आए...कसम लालकिले की.......   

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