Tuesday, December 14, 2010

सब माया है....


 सब माया है,सब ढलती फिरती छाया है। जी हां कितनी खूबसूरती से गाया है अताउल्ला खां इसाख़िलवी ने... माया यानि पैसा.... हाय पैसा... कैसे कमाऐं पैसा...बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया...पागल है दुनिया पैसे के लिए...तेजी से भाग रहे समय में हर कोई चाहता है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा माया इकट्ठा की जाऐ ताकि हमें भौतिक सुख मिल सके...आज के दौर में ज्यादा दौलत कमाना स्टेट सिंबल बन गया है....हर कोई एक दूसरे से ज्यादा पैसा कमाकर समाज में अपनी झूठी शान दिखाना चाहता है....हालांकि आज के दौर में दिक्कत इस बात कि है कि लोगों में सब्र कम है..वो किसी भी बात का इंतजार नहीं करना चाहते...उन्हे लगता है कि फटाफट पैसा कमाओ और समाज में रुतबा बढ़ाओ...अधिकतर लोग ये मानते हैं कि पैसा कमाने के कई शार्टकट तरीके भी हैं जिन्हे आजमाकर आसानी से पैसा कमाया जा सकता है...लेकिन क्या उस पैसे में बरकत होगी सोचने वाली बात है...
       संतोष परम् धनंजीवन में अगर संतोष यानि सब्र नहीं तो कुछ भी नहीं आप लाख़ पैसा कमा लें...लेकिन अगर आपको सब्र नहीं तो उस पैसे का कोई फायदा नहीं है...जिंदगी इतनी लंबी नहीं कि आप सबकुछ आसानी से हासिल कर लें आपको लगातार मेहनत करने की आदत होनी चाहिए....मेहनत से कमाया हुआ पैसा कभी भी नुकसान नहीं पंहुचा सकता....लोग अक्सर ये कहते हैं कि फलां काम में उन्हे नुकसान हो गया...अगर दिमाग पर जोर डालें तो आसानी से बात को समझ सकते हैं...लेकिन इंसान की फितरत ही ऐसी है कि वो समझ कर भी नासमझ बना रहता है....माना कि पैसे से आप वो सब खरीद सकते हैं जो आपको पसंद है लेकिन क्या सुख और चैन खरीद सकते हैं...नहीं ना तो फिर किस बात की जद्दोजहद किस बात की टेंशन....
       आपको आज भी पुराने जमाने के कई लोग ऐसे मिल जाऐंगें जो कहते हैं कि उनके जमाने में पैसे को इतनी तवज्जो नहीं दी जाती थी....लेकिन आज के दौर में पैसे की अहमियत इसलिए भी बढ़ गई है कि आज हमने अपने जीने के ढंग को ही बदल दिया है....हमने हर चीज को पैसे से आंकना शुरु कर दिया है...रिश्तों नातों को भी हम अब पैसों से आंकने लग गए हैं...हमारा कोई रिश्तेदार अगर गरीब है तो उसकी सबसे पहले मदद करना हमारा फ़र्ज भी है और जिम्मेदारी भी...लेकिन हमने ऱिश्तों की दीवार अब इतनी उंची कर दी है कि रिश्ते दरकने लगे हैं....
        जिंदगी में कई उतार चढ़ाव के बावजूद भी कई ऐसे लोग आपको मिल जाऐंगें जिनके पास पैसा तो है लेकिन इज्जत नहीं लोग उन्हे गाली देते नहीं थकते...वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो अपनी इज्जत को ज्यादा एहमियत देते हैं...उन्हे कोई परवाह नहीं होती वो हर किसी से बडी़ ही आसानी से मिलते हैं...यही कारण है कि लोग उनकी इज्जत करते हैं....पैसा हो लेकिन इतना... जो आदमी चैन से अपनी जिंदगी गुजार सके...चूंकि चैन से जिंदगी गुजारने वाले सही मायनों में असली जिंदगी जीते हैं....

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