Wednesday, December 15, 2010

खुदा के लिए......

'खुदा के लिएकितनी बेहतर फिल्म है इस्लाम को जानने के लिए....मेरा साफ मानना है कि अगर इस्लाम के बारे में जानना है तो सबसे बेहतर अगर कुछ है तो वो है कुरान शरीफ़....कुरान को पढ़ने के बाद आसानी से जाना जा सकता है कि इस्लाम क्या है....दो शब्दों में कहूं तो इस्लाम अमन का पैगाम है....इंसानियत के नाम पर अगर कोई इस दुनिया में अव्वल है तो वो सिर्फ़ और सिर्फ़ मुहम्मद साहब हैं....वो इस लिए कि एक तो उनके पास दुनियावी मसलों के जवाब हर वक्त मौजुद रहते थे....कितने ही लोग और साहिबा उनके पास आते और बेहिचक अपने सवालात उनके सामने रखते.....हुजू़र बड़ी साफ़गोई और नरमाई के साथ उनके सवालों का जवाब देते......
       आज कुछ लोगों की वजह से इस्लाम की ग़लत तस्वीर पेश कर दी गई है....लेकिन अगर इस तस्वीर की हकी़क़त जाननी है तो कुरान को पढ़ना ही होगा....उसके बाद कोई बात की जाए तो बेहतर है....कुछ लोगों का मानना है कि इस्लाम तलवार के बल पर फैला है....लेकिन मुझ जैसे लोगों का मानना है कि अगर ऐसा होता तो शायद तस्वीर दूसरी होती....कई लोग कहते हैं कि फलां चीज इस्लाम में हराम है...अब हराम है या हलाल ये कैसे पता चले.... तो इसके लिए आपको उस बारे में जानना बेहद जरुरी बन पड़ता है....यूं ही बिना बात के कुछ भी कह देना नामुनासिब है.....
       मेरे कई अच्छे दोस्त गैर-मुस्लिम हैं....मेरे एक दोस्त जो सिविल की तैयारी कर रहे हैं और इंशाल्लाह एक दिन जरुर आई.ए.एस बनेंगें...को मैने हिंदी की कुरान दिलवाई.....उन्होने एक दिन मुझसे कहा कि एक दिन उनके कोई रिश्तेदार उनके घर आऐ और पूजा करने की जगह पर कुरान देखकर चौंक पडे़....और कहा कि इसे यहां क्यों रखा है तो मेरे अज़ीज दोस्त ने उन्हे टका सा जवाब दिया कि जितनी अहमियत मेरी नज़र में गीता की है उतनी ही कुरान की भी है.....
       मेरा मानना है कि हमें सब धर्मों की इज्जत करनी चाहिए....क्योंकि इस्लाम इंसानियत पर बहुत जोर देता है....अगर हम इंसानियत को भूल गए तो समझो हम अपने धर्म को ही भूल गए....कुरान में कहीं भी ये नहीं लिखा है कि किसी मासूम की जान लो....किसी को नुकसान पंहुचाओ...किसी की बुराई करो....झूठ बोलो....बल्कि अल्लाहताला को ये सब बेहद नागवार गुजरता है.....अल्लाह का हम शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने हमें खाने-पीने की बेशुमार चीजें नवाजीं... कि अगर हम चौबीस घंटों खाते भी रहें तो शायद ख़त्म न हों....उसने हमें वो सब अता किया जो हमें जिंदगी गुज़ारने के लिए चाहिए....बेशक सारी तारीफ़ अल्लाह के लिए ही हैं.....

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