Friday, December 17, 2010

सिफा़रिश......


बेहद परेशान था उत्पल...रोजाना के धक्के खाकर परेशान हो चुका था....साला.... मीडिया के चक्कर में कहीं पागल न हो जाऊं...मीडिया बिल्कुल बांसुरी की तरह...बाहर से सुरीली..लेकिन अंदर से उतनी ही खोखली...देखो एक बात तो है उत्पल.... अगर तुम्हारा मीडिया में कोई लिंक नही है तो फिर तुम कुछ नहीं कर सकते क्योंकि....जब तक तुम अंदर इंट्री नहीं कर पाओगे तब तक कुछ भी नहीं हो सकता.....प्यार से समझा रहे थे उसके मकानमालिक....लिंक बनाओ...पर कैसे अंकल....कैसे भी... खड़े रहो मीडिया के दरवाज़े पर कभी तो किसी की नज़र पड़ेगी तुम पर.....ठीक है......
      रात को नींद नहीं आ रही थी उसे....अगर इंस्टिटयूट वाले कुछ कांन्टैक्ट करा देते तो शायद आज ये दिन न देखना पड़ता....लेकिन कुछ भी हो काम तो मीडिया में ही करना है....बस एक बार....सोचते-सोचते सो गया उत्पल......
       अगले दिन नहा धो कर निकल पड़ा अपनी मंज़िल की ओर....चैनल पीपीएन के गेट पर जैसे ही पंहुचा सिक्योरिटी वालों ने रोक लिया.....हां भईया....किनसे मिलना है....एडीटर से....वो तो अभी नहीं आए....कब आएंगें....मालूम नहीं.....ठीक है.....बुझे मन से बाहर निकल आया उत्पल.....तभी उसकी नज़र सामने से आ रही एक खुबसूरत लड़की पर पड़ी.....वो सीधे गेट पर पंहुची और गार्ड से कुछ कहा और चैनल के अंदर घुस गई....उत्पल देखता रह गया....
       अरे गाड़ी निकालो भई एडीटर साहब आ रहे हैं....गार्ड चिल्लाया...चौंका उत्पल...साला झूठा....अभी तो कह रहा था कि एडीटर नहीं है...अब क्या आसमान से उतर आया.....एडीटर के जाते ही.....अरे तुम तो कह रहे थे कि....एडीटर साहब नहीं हैं वो तो थे....तुम किसलिए आए हो....गार्ड ने पूछा... जोब के लिए....कोई सिफ़ारिश...नहीं... तो भईया फिर हिंया आपका कोई काम होने वाला नहीं.....पर यार कुछ तो बताओ....अरे आप किसी की सिफ़ारिश ले आओ....किसकी....किसीकी भी....जो एडीटर को जानता हो....
       अंकल कोई मंत्री है आपकी जानपहचान में.... हां है.....सुधीर साहब हैं अपने राज्य से ही हैं बस अंकल मुझे उनसे मिलवा दो....पर हुआ क्या...अंकल बिना सिफ़ारिश के बहुत मुश्किल है.....ठीक है में ही कुछ करता हूं......
       सर...राजन जी हैं एडीटर.....एक मिनट.....अरे शर्मा जरा पता लगाओ कि पीपीएन चैनल का एडीटर कौन है.....सर...राजन करके हे कोई.....नंबर लगाओ...ठीक है...सर....लिजिए सर....लाइन पर है....सुधीर बोल रहा हूं.....अरे सर कैसे हैं आप.....कोई सेवा.....कल एक बंदा आएगा आपके पास जरा देख लेना....बिल्कुल सर...बिल्कुल....भेज दिजिए....जाओ बेटा....पांव छूकर निकल पड़ा उत्पल.....
हां किनसे मिलना है....राजन जी ने बुलाया है....एक मिनट.....ठीक है....आईए मेरे साथ....बैठो ....कैसे हैं मंत्री जी...जी अच्छे हैं....क्या काम कर सकते हो... जो भी आप कहें .....ठीक है न्यूज़ डेस्क संभालो....रवि इनको काम बता दो....ठीक है सर....
       सारे रास्ते सोचता रहा....उत्पल... लेकिन उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था...काश ये सब बिना सिफ़ारिश से होता तो काम करने में मजा आता....एडीटर बदला ते हम भी बदले.....खैर....

      

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