Monday, December 13, 2010

जरा सुनिए....तो....


मुहल्ले के चार-छे: आवारा लोंडों के साथ चचा बतुलै अपना अनुभव बांटने में लगे थे...में अपने आफिस निकल ही रहा था कि उनमें से एक ने चचा को मुझे आता देख इशारा कर दिया... चचा जानी दुश्मन की स्टाइल में मुझ पर झपट पडे़....अरे..चचा...ये क्या...मैं अभी आफिस जा रहा हूं....वापसी में आकर तुम्हारी गप सुनुंगा...गप....चचा तैश में आ गए...अच्छा तो तुम भी अब अपने आपको मुगले-आज़म समझने लगे हो....अरे....चचा लेट हो रहा हूं....और ये क्या जरा अपनी उमर का लिहाज़ तो कर लिया करो....इन आवारा लोंडों के साथ फालतू की बकवास करते रहते हो दिनभर.... कहूं क्या जाके चाची से...इतना सुनते ही चचा कुछ नरम हो गए....चलो बे...ढक्कनों भागो यहां से...उल्लू की दुम दिन भर चचा को रेडियो समझते रहते हैं....कसम उड़ानझल्ले की....पर चचा आजकल तो तुम्हारी बल्ले-बल्ले होगी....क्यों मेरी क्या पिक्चर हिट हो गई है जो तुम....अरे चचा कैसी बात करते हो एकदम फालतू...अरे में 3G स्पेक्ट्रम घोटाले की बात कर रहा हूं.... सुना है इसमें तुम्हारा भी शेयर था....अरे मिंया जरा होश की बात किया करो एक तो में वैसे ही कर्ज में डूबा पड़ा हूं उपर से तुम.....पर हां सरकार कोई भी हो एक ही थाली के चम्मच हैं....अब कांग्रेस बीजेपी को कोस रही है कि उसी के राज में ये घोटाला हुआ वहीं बीजेपी कह रही है कि घोटालों की सरदार रही कांग्रेस अपना दामन पतिव्रता नारी की तरह पाक साफ बता रही है....अभी कल ही मेरी कपिल सिब्बल से बात हुई....बस चचा रहने दो...अबे सुनो तो सही.....नहीं चचा....फिर कभी.....बाय....चचा खिसिया उठे...और धम्म से टूटी खटिया पर पांव फैलाकर बैठ गए.....

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