Wednesday, January 19, 2011

प्यार प्यार में....


किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है....
कहां हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी है...
वो प्यार जिसके लिए हमने छोड़ दी दुनिया...
जी हां....प्यार एक खुबसूरत अहसास है....ऐसा अहसास जो कभी भी किसी को भी हो सकता है....कहीं भी हो सकता है....इस के लिए सिर्फ़ नज़र की जरुरत होती है...ऐसी नज़र जो पाक़ हो असली प्यार का मजा तब है जब उसे इमानदारी के साथ निभाया जाऐ...अक्सर लोग कहते हैं कि प्यार सिर्फ़ विपरित लिंगी से ही होता है....लेकिन प्यार वो चीज़ है जो कहीं भी किसी से भी हो सकता है....बेटे को अपनी मां से...बहन को अपने भाई से...बेटी को अपने बाप से....दोस्त को अपने दोस्त से...यहां तक कि जानवरों से भी प्यार होता है।
     लेकिन आज के हालात बदल चुके हैं आज प्यार को कभी-कभी मजाक समझकर एक-दुसरे की भावनाओं से भी खेला जा रहा है...अब या तो प्यार करने वालों में दम नहीं या फ़िर प्यार की अहमियत ही नहीं अब सिर्फ़ मतलब वाला प्यार हमारे उपर ज्यादा हावी हो गया है....हम किसी से प्यार करते हैं तो फायदे की कोशिश में भी जुट जाते हैं। कई बार होता ये है कि हम प्यार नहीं बल्कि नाटक कर रहे होते हैं। ऐसे प्यार का कोई फ़ायदा नहीं जिसमें परस्पर एक-दुसरे का सम्मान न हो....उसका ख़्याल न हो....कोशिश होनी चाहिए कि किसी से भी प्यार हो तो असली प्यार हो दिखावा नहीं...तभी सामने वाला आपके प्यार की अहमियत को समझेगा।
      हमें प्यार किया तो डरना क्या वाला फार्मूला तो अपनाना ही चाहिए सात ही ख्याल रखला चाहिए कि हमारे प्यार की वजह से किसी को भी तकलीफ़ न पंहुचे....जिससे कि कोई भी हम पर उंगली न उठा सके....हमारे प्यार कोरे काग़ज़ के जैसा साफ़ और सच्चा होना चाहिए.....

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