Friday, February 25, 2011

ज़िंदगी...


उदास मन से आसमान की तरफ़ देख रहा था तरुण....पिछले दो महीने से लगातार वो परेशान हो रहा था....कभी-कभी तो उसे लगता कि वो आख़िर मीडिया में आया ही क्यों...इससे अच्छा था कि कहीं और नौकरी कर लेता सुबह से शाम तक भागदौड़ उठापठक वाली ज़िंदगी से निराश हो चला था। नई नौकरी की तलाश में जोर-शोर से जुटा था...उसे लगता कि अगर इस तरह से चलता रहा तो शायद ज्यादा दिन नहीं जी पाएगा...पुरानी यादों में खो गया तरुण.....
     शुरुआत से ही क्रिएटिव मांइड का था....कालेज में ग्रेजुएशन के दौरान उसे किसी ने बताया कि मीडिया में नेम फेम और पैसा सबकुछ है...तुम्हारे जैसे टेलेंटड लोगों का मीडिया में आना बेहद ज़रुरी है....काफ़ी अच्छा कर सकोगे तुम....राह बदल डाली तरुण ने आ गया वो मीडिया में....अपनी मेहनत और टेलेंट के दम पे कुछ ही दिनों में काफी अच्छा काम कर गया....चैनल में काम करने के बाद उसे लगने लगा कि कहीं वो कुछ गलत तो नहीं कर रहा.....धीरे-धीरे उसे लगने लगा कि बेहतर काम के बाद भी उसे वो सब हासिल नहीं है जो वो चाहता है....बड़ी कुर्सियों पर बैठे लोग उसके काम की उपर से तारीफ़ तो करते हैं लेकिन अंदर ही अंदर उससे जलते भी हैं....उसके ख़िलाफ़ रणनीति बनाई जाती है कि कैसे उसे नीचा दिखाया जाए....
      कुछ दिनों तक तरुण सोचता रहा कि कोई बात नहीं अपने काम पर ध्यान देना ही मुनासिब है....उसे किसी से क्या...लेकिन एक दिन पानी सर से उपर पंहुच गया....तरुण को वो सब नहीं करने दिया गया जो वो करना चाहता है....बात-बात पर उसे नीचा दिखाने की कोशिश की जाती रही....उससे रहा न गया आखिर उसका क्या कसूर है....आखिर क्यों सब उससे जलते हैं....सिर्फ़ उसकी तरक्की से....उसे समझते देर न लगी...आखिर लेनिन ने ऐसे ही थोड़े कहा था कि जब लोग आपका विरोध करना शुरु कर दें तो समझो आप तरक्की कर रहे हैं....लेकिन क्या कर सकता था वो अकेला...तरुण समझ गया था कि अगर वो हार गया तो उसकी ज़िंदगी बेकार है...अचानक फोन की घंटी बजी...चौंक गया वो....
     उसने लड़ाई लड़ने की ठानी....लड़ाई हर उससे जो उसकी मुख़ालफ़त कर रहा था फ़िर चाहे वो बड़े पद पर ही क्यों न बैठा हो....अपनी बात को साबित करने के लिए उसने उन्ही का दांव उन्ही पर मारना शुरु कर दिया....और एक दिन मीटिंग में...जब तरुण बोला तो फ़िर बोलता ही गया.....पूरे स्टाफ़ के सामने सबके कपड़े उतार फेंके...सबकी उदाहरण सहित व्याख्या कर डाली....चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए...आफिस से बाहर निकल गया...नुक्कड़ पर चाय पीते वक्त उसे लगा जैसे उसे नई ज़िंदगी मिली हो....अपने ढंग से जिउगां में अपनी ज़िंदगी....तेज कदमों से घर की तरफ़ चल पड़ा तरुण....

Wednesday, February 23, 2011

तरक्कीपसंद बनें मुसलमान..........


मौलाना गुलाम मौहम्मद वस्तानवी के दारुल-उलूम देवबंद के ओहदे पर बने रहने की बात जानकर मेरे दिल को बेहद खुशी हुई.दारुल-उलूम देवबंद से न जाने कितने हाफ़िज-ए-क़ुरआन और मुफ़्ती निकले हैं....दुनियाभर में दारुल-उलूम की प्रतिष्ठा काहिरा के बाद दूसरे नंबर पर है...ज़ाहिर सी बात है कि इसकी बुनियाद इतनी मजबूत है कि कोई भी इसकी बराबरी करने के लिए सौ बार सोचेगा....यूपी के सहारनपुर के छोटे से कस्बे देवबंद में स्थित इस इदारे की अपनी एक अलग ही पहचान है...देवबंद की पहचान ही है दारुल-उलूम....रोजाना यहां हजारों लोग आते है...कितनी ही ज़माते निकलती हैं यहां से....अल्लाहताला के रहमोकरम से कभी भी यहां कोई बात सुनने को नहीं मिली लेकिन बिजनौर के रहने वाले मरहूम मोहतमीम मुर्गुबुर्रहमान साहब के इंतकाल फ़रमा जाने के बाद गुजरात के रहने वाले और तरक्की पसंद मौलाना गुलाम मौहम्मद वस्तानवी को इस बेहद प्रतिष्ठत इदारे की बागडोर सौंपी गई।
      दारुल-उलूम देवबंद के मोहतमीम का ओहदा संभालते ही उनके मुख़ालफ़ियों ने उनके खिलाफ़ साजिश रचनी शुरु कर दी....उनके गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए गए एक बयान को हंगामाखे़ज बना दिया....और आज की मीडिया ने बिना सोचे समझे उस बयान को इतना हाइप कर दिया कि मौलाना ने चुप्पी साधना ही बेहतर समझा....उनकी इस चुप्पी को उनकी कमजोरी समझा गया...लेकिन आज मज़लिसे-शूरा की मीटिंग में दूध का दूध और पानी का पानी हो गया....एक बार फ़िर से वस्तानवी को दारुल-उलूम की बागडोर सौंप दी गई....
     क्या वस्तानवी जैसे तरक्कीपसंद लोगों की मुख़ालफ़त करना ज़ायज है...अगर वो मुल्क के पिछड़े मुसलमानों को आगे बढ़ने की राह दिखाते हैं तो वे क्या बुरा करते हैं...आजादी के 65 साल बाद भी देश का आम मुसलमान तरक्की से महरुम है तो क्या ऐसे में वस्तानवी जैसे लोगों की हिमायत नहीं की जानी चाहिए....अगर वो मुसलमानों को भी तालीमयाफ़्ता बनाना चाहते हैं तो इसमें बुरा क्या है....चंद सियासतदां बिल्कुल भी नहीं चाहते कि मुसलमान भी पढ़लिखकर आगे बढ़ जाएं क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो फ़िर उनकी सियासत तो चौपट हो जाएगी।
       अब वक्त आ गया है कि हमें आपस में मिलकर इन ताक़तों से जोरशोर से लड़ना चाहिए अपनी क़ौम को आगे बढ़ाने की कोशिश मे जुट जाना चाहिए क्योंकि वो सुबह कभी तो आएगी....

  

Wednesday, February 16, 2011

सर्कस…..


चचा बतूलै लुंगी उंची किए अपने दो पालतू चमचों के साथ टूटी खटिया पर ऐसे बैठे थे मानो खानदानी नवाब हों...में अपने आफिस के लिए निकल ही रहा था कि एक चम्मच ने मेरी तरफ़ इशारा कर दिया....चचा की आंखों में मुझे देखते ही चमक आ गई....और तेजी की आवाज़ में उचक कर बोले अबे ओ डेमोक्रेसी के चौथे खंभे....कहां कू रिया है...जहन्नुम में... साथ चलोगे....चचा खिसिया गए...चेलों को किनारे करते हुए बोले देखो मुझसे राजा और बावला आई मीन बलवा वाली स्टाइल में बात मत करियो...में बहुत नरमदिल इंसान हूं....मुझे हसीं आ गई...पर चचा राजा से तुम्हे क्या लेना देना अरे कैसे पतरकार हो तुम....राजा और बलवा ने कहा है  हमें क्या सर्कस बना रखा है...3-3 दिन की रिमांड पर लेने से अच्छा है कि एक साथ ही अंदर रखो खाना तो घर से ही आयेगा और कोई क्या उखाड़ लेगा कसम सुखराम की....बिल्कुल दुरुस्त फ़रमाया चचा आपने...एक दम सौलह आने सच...चचा के चेहरे का रंग बदल गया....चेलों की तरफ़ देखकर बोले.....हैं....चेले हंसने लगे....पर चचा देखना राजा और बलवा का कुछ भी होने वाला नहीं...ऐसे कितने आए और गए...सच कहूं चचा अब तुम भी कोई बड़ा सा घोटाला कर डालो...ताकि तुम्हे भी सीबीआई सर्कस बना दे.....चचा का मुंह देखने लायक था...मैं किनारे से खिसक लिया चेले एक बार फ़िर हंस रहे थे.....

Monday, February 14, 2011

जब प्यार किया तो.....



14 फरवरी यानि प्यार करने वालों का दिन....इस खास दिन का इंतज़ार हर उस शख़्स को होता है जिसे प्यार हो जाता है....अब प्यार चाहे वो कैसा भी हो उसका कोई भी नाम हो... प्यार तो प्यार है....और जब प्यार किया तो डरना क्या...ले हाथों में हाथ चले हैं हमसाये…. गोया कोई जंग लड़ने जा रहे हों...लेकिन प्यार में जीत हासिल कर लेना अपने आप में जंग जीत लेना है। ये तो हर किसी को मानना ही पड़ेगा। हर साल भारतीय सभ्यता और संस्कृति का डंका पीटने वालों को प्यार करने वालों से मुंह की खानी पड़ती है....उनके क्रियाकलापों को देखकर लगता है जैसे कि वे आजादी की लड़ाई लड़ रहे हों...प्यार करने वालों को देखते ही उन पर ऐसे टूट पड़ते हैं जैसे भूखा रोटी पर। अब इन्हे कौन समझाए कि....हर जुल्म सहेंगे हम फ़िर भी प्यार करेंगे हम... का नारा देने वाली युवा पीढ़ी आज मार्डन ख़्यालात की हो गई है। वो अपने बाप से कुछ नहीं छिपाती तो फ़िर ये ज़माना उसके आगे क्या है....
       पहले प्यार की पहली चिट्ठी साजन को दे आ...कबूतर जा जा जा....गया वो जमाना अब तो हाईटेक जमाना है जनाब सबकुछ फटाफट...इस हाथ ले उस दे...ऐसे ही थोड़े दस रुपए में बिकने वाला गुलाब दौसो रुपए में बिकता है....एसएमएस से इज़हारे-मुहब्बत बड़ा ही आसान है...दूर बैठे अपने सजन या सजनी को एक सेकेंड में आईलवयू कहना कितना आसान हो चला है ये प्यार करने वालों से पूछो....प्यार को प्रमोट करने में आज हर कोई लगा है...कुछ इससे अपना दुकान चला रहे हैं कुछ अपनी राजनीति अब देखने वालों के नज़रिया का फ़र्क है...क्या कहें...
      भले ही आज कई लोगों का दिल जुड़ गया हो... लेकिन न जाने कितनों का दिल टूटा भी होगा??? एक तो आजकल सच्चे प्यार की कद्र न के बराबर है...सच्चा प्यार मिलना कोयले की खान में से, हीरा ढूंढने जैसा है...बड़ी ही किस्मतवाले होते हैं वो जिन्हे प्यार हासिल होता है...जो प्यार हासिल कर लेते हैं वे प्यार की दुहाई देते नहीं थकते और जिन्हे प्यार हासिल नहीं होता वे प्यार को बदनाम करने से भी ग़ुरेज़ नहीं करते।
     वेलेंटाइन डे तो आता-जाता रहेगा और प्यार करने वाले भी हमेशा रहेंगें लेकिन प्यार को सच्ची नीयत से करने वाले शायद ही अब दिखलाई पड़ते हैं। अगर सच्चे प्रेमी हों तो फ़िर शायद प्यार के लिए इतनी कुर्बानी न देनी पड़े....सच्चा प्यार हमेशा रहे बस यही दुआ की जानी चाहिए और दुआ उनके लिए भी जो सच्चे प्यार की राह देख रहे हैं....
                                          इंतिख़ाब आलम अंसारी

Wednesday, February 2, 2011

कमप्रोमाइज़.........


एंकर बन हो सकती हो तुम कोई टेंशन नहीं....एडीटर बता रहे थे काफ़ी टेलेंटेड हो तुम कम दिनों में ही..... काफ़ी अच्छा काम कर लेती हो...सर बस आपकी ही....हां..हां...कोई बात नहीं....क्या नाम है तुम्हारा.....जी....रागिनी....आगे जी ....मतलब आगे क्या लगाती हो....जी आगे मेरा कोई सरनेम नहीं सिर्फ़ यही है....ओके....वैसे काफ़ी खूबसुरत हो तुम....नजरें झुका लीं उसने...अच्छा ये बताओ और क्या क्या कर सकती हो....जी मैं मतलब नहीं समझी....मेरा मतलब है कि....देखो कल के दिन तुम एंकर बनती हो तो तुम्हारा नाम होगा बड़े-बड़े लोगों से मिलना जुलना होगा तुम्हारा....पैसा शोहरत...कुछ समझीं...जी...पर...कुछ कमप्रोमाइज़ करने पड़ते हैं यहां...जी....क्या.... कमप्रोमाइज़...जी मैं समझी नहीं.....मतलब हमारे साथ.....सर मैं ऐसी लड़की नहीं हूं....मैने कब कहा....पर सर...देखो हर लड़की यही कहती है.....कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है....अगर आगे जाना है तो....ये सब तो करना ही पड़ता है.....आज नहीं तो कल....करना ही होगा....आगे तुम्हारी मरज़ी....तुम जा सकती हो....
      बास के केबिन से बाहर निकल कर सहम सी गई रागिनी.....उसे इल्म ही नहीं था कि तरक्की की राह में ऐसा भी होता है.....
     छोटे शहर की रहने वाली थी रागिनी...बेहद खुबसूरत और आकर्षक बोलती तो लगता कि उसकी बातें सुनते ही जाओ....मासकाम का कोर्स करने के बाद मीडिया में कैरियर बनाने को लेकर देहली आई....अपने सपनों को आकार देने के लिए.....मेहनत करने में कोई सानी नहीं उसका मानना छा कि अगर थोड़ी सी मेहनत कर ली जाए तो शायद नसीब भी बदल सकता है....आप कामयाब हो सकते हैं....लेकिन आज...
     अगले दिन आफ़िस में घुसते ही.....अरे मैडम आपको बास ने बुलाया है....सर हिलाकर रह गई....ओके....
     हां तो मिस... क्या सोचा आपने.. आपको एंकरिंग करनी है कि नहीं....सर मैने कहा ना कि मैं ऐसी लड़की नहीं हूं....अरे यार तुम समझती क्यों नहीं....मैं कब कह रहा हूं कि तुम ऐसी लड़की हो....अब हां....या ना में जवाब दो या फ़िर अपना रिज़ाइन...समझे....
     ओके सर...मैं तैयार हूं अचानक ही जवाब दे दिया रागिनी ने....बास के चेहरे पर कुटिल चमक छा गई....मानो उसने जंग जीत ली हो....बताइए सर कहां मिलना है...
   ये मैं आपको जल्दी ही बता दूंगा...तुम टेंशन मत लो और सुनो शाम को मेरी गाड़ी तुम्हे घर तक ड्राप कर देगी....अब टेंशन लेना छोड़ दो....बहुत आगे जाओगी तुम....
और फ़िर जल्द ही वो बड़ी एंकर बन गई....और फ़िर एक दिन....क्या बकवास कर रही हो तुम.....जी सर मैं सच कह रही हूं....तुमने पहले क्यों नहीं बताया...सर आप कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थे....हे भगवान ....अब क्या करुं में...कमीनी तूने मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर डाली....मेने क्या किया है....इसमें मेरा क्या कसूर....एक बात और है सर....मैने अपने और आपके संबंधों की सीडी भी बनवाई है.....अब एक काम करो जल्दी से मेरे एकांउट में 5 करोड़ रुपए डाल दो और....मीटिंग बुलाओ और मुझे एडीटर-इन-चीफ़ नियुक्त करो....वरना ये सीडी दुसरे चैनल में चल जाएगी....और हां एक बात और मैने पुलिस में भी रिपोर्ट लिखवा दी है कि अगर मुझे कुछ होता है तो उसके जिम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम होंगे.....समझे...चलो अब जल्दी करो....मुझसे सब्र नहीं हो रहा....
      बधाई हो रागिनी आप इतनी जल्दी इतने उंचे पद पर पंहुच गई....थैंक्स....रागिनी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी.....

 

झेल ले बेटा... तू पत्रकार है.....


इतने में क्या होगा सर.....एडीटर के सामने मिमिया रहा था...सौम्य...सर पूरे दो लाख खर्चा किए हैं....मास काम में...देखो बेटा समझा करो....तुम पत्रकार हो...इतने में इतना ही मिलता है....आज मीडिया इंडस्ट्री बड़े ही बुरे दौर से गुजर रही है.....लोगों को नौकरी नहीं मिल पा रही है और तुम सैलरी बढ़ाने की बात कर रहे हो....लेकिन आपको तो मालूम है सर कितनी मेहनत करता हूं में.....हां में सब समझता हूं पर...मैनेजमेंट का यही फ़ैसला है तो इसमें मैं भी कुछ नहीं कर सकता...लेकिन सर आप तो खुद इतनी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं....मुझे क्या मालूम था कि मीडिया में इतना शोषण होता है.....
     मुंह लटकाए एडीटर के केबिन से बाहर निकल गया सौम्य....सर्दी के मौसम में भी उसे पसीना आ गया...दिमाग में हलचल तेज हो गई....दिमाग 120 की स्पीड से दौड़ने लगा...छोड़ दी जाए मीडिया-विडिया साला सब भौकाल है यहां...दुसरों की आवाज़ बनने की बात करते हैं साले अपनों की आवाज़ को ही दबा देते हैं...साले हरामी खुद अपने लोगों के नहीं तो किसके बाप के होंगे.....एक ही पल में न जाने कितने ख़्याल उसके दिमाग में आ रहे थे....जी चाहता है सालों को गोली से उड़ा दूं....मैं ही पागल था जो मीडिया में आ गया....इससे अच्छा था एमबीए करता कम से कम अच्छी ज़िंदगी तो गुज़ारता...ये कुत्ते से भी बदत्तर ज़िंदगी तो न गुज़ारनी पड़ती....
     अपने केबिन में धम्म से बैठ गया....अरे राकेश यार एक चाय भिजवा दो....लगता है अब रिजाइन देने का वक्त आ ही गया है...अगर यहां कुछ दिन और रहा.. तो या तो पागल हो जाउंगा या फ़िर भिखारी....सर चाय....यार राकेश तुम्हारी सैलरी बढ़ी कि नहीं....बढ़ती कैसे नहीं सर....मैने तो दिवाली से ही डंडा देना शुरु कर दिया था....
     आग लग गई सौम्य के बदन में....साले कितना झूठ बोलते हैं....शर्म भी नहीं आती...
और फ़िर देखते ही देखते सौम्य ने फ़ैसला कर लिया.....ऐसे नहीं जाउंगा इतनी आसानी से नहीं....सबको सुना के जाउंगा.....
और फ़िर एक दिन मीटिंग में.....सबको खुब मां-बहन की सुनाई....और रिज़ाइन दे दिया....
आज सौम्य का खुद का एक अख़बार निकलता है...रोशनी के नाम से....100 से ज्यादा लोग काम करते हैं....पर सबकी तनख़्वाह इतनी अच्छी है कि हर कोई यहां काम करना चाहता है.....आज जब पीछे मुड़कर देखता है तो....

Tuesday, February 1, 2011

तबस्सुम..........


तेरी आंखों में जो हल्की सी चमक देखी है..
तेरी आखों में जो हल्की सी चमक देखी है...
तेरे होठों पे जो हल्का सा तबस्सुम छाया
तेरे होठों पे जो.....
आज फ़िर मुझको तेरा फ़िर से ख़्याल आया है...
तेरी बातों में जो शीरीं सी महक होती है....
तेरी आहट से न जाने क्या खुमार छाया है....
तेरी आखों में जो.....
तू जो एक बार मुहब्बत में वफ़ा कर ले तो
में समझता हूं के मैने क्या पाया है....
तेरी यादों की तड़प में न जी पाउंगा....
आज फ़िर तुझसे मिलने का सबब है मुझको..
वो जो कहते तुम्हे गुलबदन शायद
में तो कहता हूं कि तुम मेरा चमन बन जाओ...
आओ फ़िर आज मुझे फ़िर से अकेला कर दो
ताकि में फ़िर से तुम्हे ख़्वाब में देख पाउं...
तेरी आखों में जो हल्की सी चमक देखी है...