Tuesday, February 1, 2011

तबस्सुम..........


तेरी आंखों में जो हल्की सी चमक देखी है..
तेरी आखों में जो हल्की सी चमक देखी है...
तेरे होठों पे जो हल्का सा तबस्सुम छाया
तेरे होठों पे जो.....
आज फ़िर मुझको तेरा फ़िर से ख़्याल आया है...
तेरी बातों में जो शीरीं सी महक होती है....
तेरी आहट से न जाने क्या खुमार छाया है....
तेरी आखों में जो.....
तू जो एक बार मुहब्बत में वफ़ा कर ले तो
में समझता हूं के मैने क्या पाया है....
तेरी यादों की तड़प में न जी पाउंगा....
आज फ़िर तुझसे मिलने का सबब है मुझको..
वो जो कहते तुम्हे गुलबदन शायद
में तो कहता हूं कि तुम मेरा चमन बन जाओ...
आओ फ़िर आज मुझे फ़िर से अकेला कर दो
ताकि में फ़िर से तुम्हे ख़्वाब में देख पाउं...
तेरी आखों में जो हल्की सी चमक देखी है...

No comments: