Wednesday, February 2, 2011

झेल ले बेटा... तू पत्रकार है.....


इतने में क्या होगा सर.....एडीटर के सामने मिमिया रहा था...सौम्य...सर पूरे दो लाख खर्चा किए हैं....मास काम में...देखो बेटा समझा करो....तुम पत्रकार हो...इतने में इतना ही मिलता है....आज मीडिया इंडस्ट्री बड़े ही बुरे दौर से गुजर रही है.....लोगों को नौकरी नहीं मिल पा रही है और तुम सैलरी बढ़ाने की बात कर रहे हो....लेकिन आपको तो मालूम है सर कितनी मेहनत करता हूं में.....हां में सब समझता हूं पर...मैनेजमेंट का यही फ़ैसला है तो इसमें मैं भी कुछ नहीं कर सकता...लेकिन सर आप तो खुद इतनी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं....मुझे क्या मालूम था कि मीडिया में इतना शोषण होता है.....
     मुंह लटकाए एडीटर के केबिन से बाहर निकल गया सौम्य....सर्दी के मौसम में भी उसे पसीना आ गया...दिमाग में हलचल तेज हो गई....दिमाग 120 की स्पीड से दौड़ने लगा...छोड़ दी जाए मीडिया-विडिया साला सब भौकाल है यहां...दुसरों की आवाज़ बनने की बात करते हैं साले अपनों की आवाज़ को ही दबा देते हैं...साले हरामी खुद अपने लोगों के नहीं तो किसके बाप के होंगे.....एक ही पल में न जाने कितने ख़्याल उसके दिमाग में आ रहे थे....जी चाहता है सालों को गोली से उड़ा दूं....मैं ही पागल था जो मीडिया में आ गया....इससे अच्छा था एमबीए करता कम से कम अच्छी ज़िंदगी तो गुज़ारता...ये कुत्ते से भी बदत्तर ज़िंदगी तो न गुज़ारनी पड़ती....
     अपने केबिन में धम्म से बैठ गया....अरे राकेश यार एक चाय भिजवा दो....लगता है अब रिजाइन देने का वक्त आ ही गया है...अगर यहां कुछ दिन और रहा.. तो या तो पागल हो जाउंगा या फ़िर भिखारी....सर चाय....यार राकेश तुम्हारी सैलरी बढ़ी कि नहीं....बढ़ती कैसे नहीं सर....मैने तो दिवाली से ही डंडा देना शुरु कर दिया था....
     आग लग गई सौम्य के बदन में....साले कितना झूठ बोलते हैं....शर्म भी नहीं आती...
और फ़िर देखते ही देखते सौम्य ने फ़ैसला कर लिया.....ऐसे नहीं जाउंगा इतनी आसानी से नहीं....सबको सुना के जाउंगा.....
और फ़िर एक दिन मीटिंग में.....सबको खुब मां-बहन की सुनाई....और रिज़ाइन दे दिया....
आज सौम्य का खुद का एक अख़बार निकलता है...रोशनी के नाम से....100 से ज्यादा लोग काम करते हैं....पर सबकी तनख़्वाह इतनी अच्छी है कि हर कोई यहां काम करना चाहता है.....आज जब पीछे मुड़कर देखता है तो....

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