Tuesday, March 29, 2011

उप्स..माई फेवरेट...


बस एक बार मुझे उससे मिलवा दे यार राजू.....क्या जबरदस्त एंकर है भाई...बिल्कुल हिरोइन माफ़िक....बोलती है तो लगती है जैसे फूल झड़ रहे हों....यार मेरा कैसे भी हो अपने चैनल में जुगाड़ करवा दे....तू बहुत लक्की है भाई... कसम से....यार कुछ तो कर...कम से कम उसे देखने का मौका तो मिलता रहेगा...अबे यार कुछ नहीं तू भी फालतू में.....अबे तू इनकी सच्चाई नहीं जानता...बाहर से कुछ अंदर से कुछ....नहीं यार हर कोई एक जैसा नहीं होता....
    राजू और मिलन पक्के दोस्त थे.....मिलन एक चैनल में ड्राइवर था....अक्सर एक दुसरे से मिलते तो एक दूसरे के बारे में बातें किया करते....राजू को मिलन के चैनल में काम करने वाली एंकर तान्या बहुत पसंद थी...जब भी तान्या कोई बुलेटिन करती राजू उसे देखना न भूलता....यूं तो उसके चैनल में भी कई एंकर थीं लेकिन उसे लगता कि तान्या की बात ही कुछ और है....और एक दिन अचानक उसकी किस्मत का दरवाजा खुल गया.....जब उस चैनल में मिलन ने उसे नौकरी पर रखवा दिया....रात काटे नहीं कट रही थी राजू की...रात भर सोचता रहा कि सबसे पहले जाते ही तान्या का दीदार करुंगा....
   अरे राजू तुम शूट पर निकलो जल्दी....ओबी ले जाओ फटाफट... पास के इलाके में जो झुग्गी बस्ती है वहां जबरदस्त आग लग गई है.....इनपुटहेड ने कहा...जी सर..अरे शंभु रुको ज़रा....मैं कुछ सामान भूल आईं अंदर....जी मैडम...अरे ड्राइवर कौन है...राजू है....कौन राजू....जी नया आया है....ओके...चलो....कब तक पहुचेंगें.... मैडम यही कोई दो घंटे में...आगे की सीट पर बैठी तान्या बोली....ओके....पीछे की सीट पर ओबी इंजिनियर और कैमरामैन शंभू बैठे थे....एसी में भी पसीना आ रहा था राजू को....
   नमस्कार...आप देख रहें हैं....और मैं हूं तान्या....इस इलाके में लगी जबरदस्त आग ने एक बार फिर से प्रशासन की पोल खोल दी है....लगातार लाइव दे रही थी तान्या....दूर से ओबी में बैठा राजू उसे एकटक निहार रहा था....ये जली लाशें बतला रही हैं कि कितना दर्दनाक मंज़र रहा होगा यहां...चेहरे पर ग़म लिए लगातार एंकरिंग कर रही थी तान्या....यार अंदर से भी कितनी अच्छी है ये....कितना ग़म महसूस कर रही है....अंदर ही अंदर सोच रहा था राजू...तभी अचानक...चलो यार हो गया....ये सब फालतू का है....आग लग गई...ये हो गया वो हो गया....ये सब गरीबो के धंधें हैं...हमें क्या...इनको खुद ही अपनी ज़िंदगी जीना नहीं आता....कीड़े-मकोड़ों की तरह रहते हैं....कितनी बदबू है यहां अगर कुछ देर और रुकी तो बेहोश हो जाउंगी....
    राजू को लगा जैसे किसी ने उसके सीने में ख़ंजर उतार दिया हो....परदे पर मासुमियत दिखाने वाली इतनी पत्थरदिल होगी उसे मालूम नहीं था....नफ़रत हो रही थी उसे उसके पास बैठने से....इतनी तेजी से गाड़ी दौड़ा रहा था कि तान्या भी डर गई....अरे ये क्या पागल हो क्या तुम...कैसे गाड़ी चला रहे हो....लग गया न डर मैडम...क्या मतलब...मतलब ये कि हम ग़रीबों को मरने से भी डर नहीं लगता आखिर हमारे पास जीने के लिए होता ही क्या है....क्या बकवास कर रहे हो तुम....बकवास...मैं बकवास कर रहा हूं...बकवास तो आप जैसे लोग करतो हो दिनभर....बेवकुफ़ बनाते हो लोगों को....तुम्हारा कोई इमान-धर्म नहीं...चकाचौंध की ज़िदगी में तुम इंसानियत तक को भूल जाते हो...तुम आफिस चलो अगर तुम्हे नौकरी से न निकलवा दिया तो मेरा नाम....अरे छोड़ो मैडम आप क्या निकलवाओगी हम खुद ही छोड़ देंगे ये नौकरी....ऐसी जगह काम नहीं करना जहां....तुम जैसे लोग रहते हों....