Thursday, May 26, 2011

मजाक....


क्यों रे चंपू कै के रियो थो कल जब मैं गाड़ी में बैठो थो,कुछ न मामू वो तो मैं मजाक कर रयो थो,अबे तेरी ऐसी कम तेसी इतना सिरियस मजाक कर रयो थो और वो भी मुझसे,न मामू बात दरअसल यो है के मैं गुस्से में थो,मेरे गुस्से के आगे न जाने कहां से तुम आ गयो तो,तो इस चक्कर में मैं बक डालो...मगर पैट्रोल को गुस्सो मुझपे क्यों उतार रयो थो हिम्मत है तो सरकार पर उतार...पुलिस पर उतार पता चल जाएगो...सारो गुस्सो काफ़ूर हो जाएगो जब पिछवाड़े पर बेंत से सिकाई होगो...ऐसी बात न है मामू मैं तो समाजसेवक हूं...अबे जा हवा आने दे जब से अन्ना हज़ारे अनशन पर बैठो है सारे आवारा किस्म के लोग यही बको फ़िर रहो है....देख आइंदा से मेरे को कुछ कयो तो तेरी खैर नहीं समझे इतना मारुंगो के तेरा...तेरा क्या मामू एक मुहल्ले में तुम ही तो हो जिससे में अपने दिल की बात शेयर करुं हूं....आपकी कितनी इज्ज़त करुं हूं ये मेरा दिल ही जानो है....अबे चल बकवास करने की डिग्री लियो फिरतो है....काम धाम तो कुछ है नहीं दिन भर आवारागर्दी करो है कुछ काम क्यों न ढूंढ रयो हो....कबतक चलेगो ऐसे....करुगों मामू काम भी करुंगो और नाम भी करुंगो....बस एक बार मेरी शादी हो जाने दो....अबे किसे अपनी बेटी की किस्मत फुड़वानी है....तो तुम फुड़वा दो न मामू....ख़बरदार जो एक लफ़्ज़ भी कहा.....अच्छा मेरे प्यारे मामू एक बात बताओ ये पैट्रोल को दाम एकदम से 5 रुपए बढ़ गयो है आपको टेंशन न होवे है....होवे है बेटा टेंशन भी होवे है पर क्या कर सकें हैं इसमें हमारा क्या बस है ये तो सरकार के हाथ में है....हम तो झेल ही सकते हैं बस...हां मामू वो तो है तुम कित्ता झेलो हो मुझे सब मालूम है....क्या मतलब...मतलब ये के मंहगाई के इस दौर में तीन-तीन बेटियां पालना बड़ी हिम्मत को काम है...मे तो दाद देतो हूं तुम्हारी....चल अच्छा निकल अब मुझे जाने दे....कहां मामू...जहन्नुम में....चलेगो....न मामू बस तुम ही जाओ....मैं शादी करके आउंगो.....

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