Saturday, November 27, 2010

पप्पू पास हो गया....


बिहार विधानसभा चुनाव को देखकर लगता है कि अब आम जनता को आसानी से उल्लू नहीं बनाया जा सकता,अब तक कभी जातिवाद के नाम पर तो कभी मंदिर-मस्जिद के नाम पर पार्टियां आम पब्लिक को वोट बैंक समझती थीं। लेकिन देश का सबसे पिछड़ा राज्य घोषित बिहार इस बार सुर्ख़ियों में छा गया। चुनाव तो बिहार में भी इससे पहले होते आए हैं लेकिन बिहारी के नाम पर लोगों को छेड़ने वालों के मुंह वहां कि जनता ने बंद करवा दिए उन्होने जता दिया कि वे अब किसी के भी झांसे में आने वाले नहीं हैं। आप बेहतर जानते हैं कि इस देश में वोट डालने में अधिकतर ग्रामीण तबका आगे रहता है। उन्हे उम्मीद होती है कि नये नेता और नई सरकार उनके हित में कुछ काम कर सकेगें... मगर अफसोस कि नेता और पार्टियां उनके विकास के लिए न तो कोई काम करते हैं न ही चुनाव जीतने के बाद उनसे कोई सरोकार रखते हैं। बिहार में भी वर्षों से ऐसा ही चला आ रहा था जनता उब चुकी थी। चिंदी चोर जैसे दिखने वाले नेता सिर्फ अपना खजाना भरने में ही जुटे रहते थे, लेकिन इस बार वहां की जनता ने उन नेताओं के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा जो उन्हे केवल वोटबैंक समझ रहे थे।
         बिहार चुनाव में आम जनता की इसलिए भी तारीफ करनी चाहिए कि उन्होने जाति धर्म से उपर उठकर विकास को वोट दिया। आसानी से समझा जा सकता है कि अगर विकास होगा तो फायदा हर किसी को होगा,विकास के काम अगर होंगे तो पूछकर नहीं होंगे कि ये हिंदु का इलाका है या ये मुसलमान का। खास बात ये रही कि बीजेपी से गठबंधन के बावजूद भी आम मुसलमानों ने जेडीयू को वोट दिए आखिर उन्हे भी तो विकास चाहिए...उन्हे भी सड़क,रोजगार,शिक्षा चाहिए। अपने भड़काउ भाषणों के लिए मशहुर नरेंद्र मोदी और वरुण गांधी जैसों को भी बीजेपी ने बिहार नहीं भेजा जिसका फायदा आखिर उन्हे ही मिला रिजल्ट आने पर वे खुद ताज्जुब में थे।
          कारण साफ है जनता समझ गई है कि अब फालतू बातों का कोई महत्व नहीं है अगर समाज के साथ कदम मिलाकर चलना है तो विकास को चुनना ही होगा। इस चुनाव से जाहिर होता है कि लोगों की विकास में कितनी दिलचस्पी है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि गुजरात,बिहार की तरह अन्य राज्यों में भी जनता विकास को ही चुनें ताकि उनका मुस्तकबिल(भविष्य) बेहतर हो सके।